Kavi Kalash Shlok | कवी कलश श्लोक 5
Kavi Kalash Shlok | कवी कलश श्लोक 5 श्लोक 1 सद्वृत्तात्मविमानेयं, व्रतशीलधृतिः। त्रैलोक्ये श्रीशिवाचार्य, राज्ञां श्रेष्ठतमोऽभवत्॥ हिंदी अर्थ: यह सद्वृत्त, आत्मनिष्ठ, व्रतशील और धैर्यवान राजा त्रैलोक्य में श्रेष्ठतम शिवाचार्य कहलाता है। मराठी अर्थ: हे सद्वृत्त, आत्मनिष्ठ, व्रतशील आणि धैर्यवान राजा त्रैलोक्यात श्रेष्ठ शिवाचार्य म्हणून ओळखले जातात. श्लोक 2 श्रीमान् योगिराजः श्रीसहजानन्दभगवान् जगतां पतिः। श्रीशिवाजिनृपः सद्भक्तजनमंगलकारकः॥ […]