श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

Names of Lord Krishna  | श्री कृष्णाची 40 नावे

Names of Lord Krishna  | श्री कृष्णाची 40 नावे येथे श्रीकृष्णाच्या विविध नावांची यादी आहे, ज्यामध्ये त्यांच्या दिव्य व्यक्तिमत्त्वाच्या वेगवेगळ्या पैलूंचे दर्शन होते: या प्रत्येक नावामध्ये श्रीकृष्णाच्या विविध दिव्य गुणांचे आणि त्यांच्या भक्तांच्या जीवनातील विविध भूमिका दर्शविल्या जातात. श्री विठ्ठलाची आरती Manual Mode: DSLR Camera Settings Guide

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श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

Sanskrit shlokas on karma | कर्म पर संस्कृत में श्लोक

Sanskrit shlokas on karma | कर्म पर संस्कृत में श्लोक  यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ हिंदी अर्थ: हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का उदय होता है, तब-तब मैं स्वयं को सृष्टि करता हूँ।  कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ हिंदी अर्थ: तुम्हारा अधिकार कर्म करने में ही है, फलों

श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

Lingashtakam | लिंगाष्टकम्

Lingashtakam | लिंगाष्टकम् लिंगाष्टकम – श्लोक १: ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम्। जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत्प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥ Hindi Meaning: ब्रह्मा, विष्णु और देवताओं द्वारा पूजित लिंग, जो निर्मल और प्रकाशमान है, जन्म और दुख को नष्ट करने वाला, उस सदा शिव लिंग को प्रणाम। Marathi Meaning: ब्रह्मा, विष्णू आणि देवतांनी पूजलेले लिंग, जे निर्मळ आणि प्रकाशमान आहे, जन्म आणि दुःख

Sant Ramdas Swami
श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

संत रामदास स्वामी श्लोक १ ते २५ | Sant Ramdas Swami Verses 1 to 25

संत रामदास स्वामी श्लोक १ ते २५ | Sant Ramdas Swami Verses 1 to 25 संत रामदास स्वामी श्लोक १ ते २५ श्लोक क्र. १ चित्तं मे परमा गतिर्ज्ञानम् अज्ञानम् विवेकहेतुः । विद्या द्रव्यं सदा मे त्वं चित्ते निधानम् अव्ययम् ॥१॥ मराठी अर्थ: मी चित्ताचा परमा गतिर्ज्ञान आहे. अज्ञान पूर्वी चित्ताने विवेक उत्पन्न करते. विद्या

BHAGAVAD GITA
श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

SRIMAD BHAGAVAD GITA श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक

SRIMAD BHAGAVAD GITA | श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक | Hindi-English(द्वितीयोऽध्याय)२१-३० प्रसंग उन्नीसवें श्लोक में भगवान् ने यह बात कही कि आत्मा न तो किसी को मारता है और न किसी के द्वारा मारा जाता है; उसके अनुसार बीसवें श्लोक में उसे विकार रहित बतलाकर इस बात का प्रतिपादन किया कि वह क्यों नहीं मारा जाता। अब अगले श्लोक

BHAGAVAD GITA 00
श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

SRIMAD BHAGAVAD GITA | श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक | Hindi-English(द्वितीयोऽध्याय)11-20

SRIMAD BHAGAVAD GITA | श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक | Hindi-English(द्वितीयोऽध्याय)11-20 प्रसंग – अर्जुन को अधिकारी समझकर उसके शोक और मोह को सदा के लिये नष्ट करने के उद्देश्य से भगवान् पहले नित्य और अनित्य वस्तु के विवेचन पूर्वक सांख्ययोग की दृष्टि से भी युद्ध करना कर्तव्य है, ऐसा प्रतिपादन करते हुए सांख्यनिष्ठा का वर्णन करते हैं- प्रसंग –

SRIMAD BHAGAVAD GITA
श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

SRIMAD BHAGAVAD GITA | श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक | Hindi-English(द्वितीयोऽध्याय)1-10

SRIMAD BHAGAVAD GITA | श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक | Hindi-English(द्वितीयोऽध्याय)1-10 प्रसंग – भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन से क्या बात कही और किस प्रकार उसे युद्ध के लिये पुनः तैयार किया; यह सब बतलाने की आवश्यकता होने पर सञ्जय अर्जुन की स्थितिका वर्णन करते हुए दूसरे अध्याय का आरम्भ करते हैं一 प्रसंग – भगवान् के इस प्रकार कहने पर

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श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

SRIMAD BHAGAVAD GITA | श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक | Hindi-English | 31-44

SRIMAD BHAGAVAD GITA | श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक | Hindi-English प्रसंग – अपनी विषादयुक्त स्थितिका वर्णन करके अब अर्जुन अपने विचारों के अनुसार युद्ध का अनौचित्य सिद्ध करते हैं-(srimad bhagavad gita Shlok) निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव । न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ।। ३१ ।। हे केशव ! मैं लक्षणों को भी विपरीत ही देख

Sanskrit Shlok
श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

Sanskrit Shlok श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक / Hindi-English 2024

Sanskrit Shlok श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक / Hindi-English अनन्तविजयं राजा कुन्ती पुत्रो युधिष्ठिरः । नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ ।। १६ ।। कुन्ती पुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्त विजय नामक और नकुल तथा सहदेव ने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये ।। १६ ।। King Yudhisthira, son of Kunti, blew his conch Anantavijaya; while Nakula and Sahadeva blew

Sanskrit Shlok
श्रीमद् भागवत गीता श्लोक

Sanskrit Shlok श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक 2024

Sanskrit Shlok श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता संस्कृत श्लोक 1 धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ।।१।। धृतराष्ट्र बोले- हे सञ्जय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ? ।। १ ।। प्रसंग – धृतराष्ट्र के पूछने पर सञ्जय कहते हैं- (Sanskrit Shlok)

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