Shri Saraswati Devi
सफलता पर संस्कृत श्लोक

Shri Saraswati Devi shlok | श्री सरस्वती देवी के 5 श्लोक

Shri Saraswati Devi shlok | श्री सरस्वती देवी के 5 श्लोक सरस्वती वंदना:  सरस्वती प्रार्थना: सरस्वती अष्टाक्षर मंत्र: विद्या मंत्र: सरस्वती गायत्री मंत्र: सरस्वती वंदना: सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि। विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥ अर्थ :- हे सरस्वती देवी, आपको नमन है। आप वर देने वाली और इच्छाओं को पूरा करने वाली हैं। मैं […]

स्तोत्र

Shiv Tandav Stotram रावण रचित शिवताण्डवस्तोत्र

Shiv Tandav Stotram रावण रचित शिवताण्डवस्तोत्र जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम् डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् ll १ ll जटा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी- –विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि . धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ll २ ll धरा-धरेन्द्र-नंदिनी विलास-बन्धु-बन्धुर स्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे . कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि ll ३ ll जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा कदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि ll ४ ll सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक: श्रियै-चिराय-जायतां

Jai-Jai-Maharashtra-Maza
स्फूर्तीगीते

Jai Jai Maharashtra Maza | जय जय महाराष्ट्र माझा … 0

Jai Jai Maharashtra Maza | जय जय महाराष्ट्र माझा … जय जय महाराष्ट्र माझा, गर्जा महाराष्ट्र माझा ॥धृ.॥ रेवा वरदा, कृष्ण कोयना, भद्रा गोदावरी एकपणाचे भरती पाणी मातीच्या घागरी भीमथडीच्या तट्टांना या यमुनेचे पाणी पाजा जय जय महाराष्ट्र माझा … ॥१॥ भीती न आम्हा तुझी मुळी ही गडगडणार्‍या नभा अस्मानाच्या सुलतानीला जवाब देती जीभा सह्याद्रीचा

Hi Anadi Bharatbhu
स्फूर्तीगीते

Hi Anadi Bharatbhu |  ही अनादि भरत भू

Hi Anadi Bharatbhu |  ही अनादि भरत भू “ही अनादि भरतभू ही अनादि संस्कृति ” ही अनादि भरतभू, ही अनादि संस्कृति रोज अरुण चंद्रमा आरतीस उगवती ॥ ध्रु॥ धरुनि अभय सावली, मायभूमिच्या शिरीं हा युगें युगें उभा अचलराज हिमगिरी चराण अर्घ्य द्यावया सिंधुलहरी उसळती ॥ १॥ शब्द स्वप्निही दिला, तरिहि तो ठरो खरा म्हणुनि राव

स्फूर्तीगीते

Amhi Gadya Dongarche Rahnar | आम्ही गड्या ! डोंगरचं राहणार

Amhi Gadya Dongarche Rahnar | आम्ही गड्या ! डोंगरचं राहणार आम्ही गड्या ! डोंगरचं राहणार । चाकर शिवबाचं होणार ।। धृ ।। निशाण भगवे भूवरीं फडके । शत्रूचे मग काळीज धडके ।। मावळे आम्हीच लढणार । चाकर शिवबाचं होणार ।।१ ।। तानाजी तो वीरच मोठा । लढता लढता पडला पठ्ठा ।। परी नाही धीरच सोडणार

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आरत्या

Sant Aarti | आरती संतांची

Sant Aarti | आरती संतांची आरती संतमंडळी । हातीं घेउनिं पुष्पांजुळि ओंवाळिन पंचप्राणें । त्याचें चरण न्याहाळी ॥ धृ. ॥ मच्छेंद्र गोरख ॥ गैनी निवृत्तीनाथ । ज्ञानदेव नामदेव ॥ खेचर विसोबा संत । सोपान चांगदेव ॥ गोरा जगमित्र भक्त ॥ कबीर पाठक नामा ॥ चोखा परसा भागवर ॥ आरती ॥ १ ॥ भानुदास कृष्णदास ।

स्तोत्र

Navgrah Stotra ( नवग्रहस्तोत्र )

Navgrah Stotra ( नवग्रहस्तोत्र ) जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् । तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।। दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम् । नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् ।। धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् । कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम् ।। प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् । Navgrah Stotra सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ।। देवानां च ऋषिणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम् । बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्

स्तोत्र

Shri Saraswati Stotra (श्री सरस्वती स्तोत्र)

Shri Saraswati Stotra (श्री सरस्वती स्तोत्र) याज्ञवल्क्य उवाच— कृपां कुरु जगन्मातर्मामेवं हततेजसम् । गुरुशपात्स्मृतिभ्रष्टं विद्याहीनं च दुःखितम् ॥१॥ ज्ञानं देहि स्मृतिं विद्यां शक्तिं शिष्यप्रबोधिनीम् । ग्रंथकर्तृत्वशक्तिं च सुशिष्यं सुप्रतिष्ठितम् ॥२॥ प्रतिभां सत्सभायां च विचार क्षमतां शुभाम् । लुप्तं सर्वं दैवयोगान्नवीभूतं पुनःकुरु ॥३॥ यथांकुरुं भस्मानि च करोति देवता पुनः । ब्रह्मस्वरूपा परमा ज्योतिरूपा सनातनी ॥४॥ सर्वविद्याधिदेवी

स्तोत्र

Stotra Shri Mahalakshmi | श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्र 1

Stotra Shri Mahalakshmi | श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्र अथ श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् ।      श्री गणेशाय नमः ॥ पद्मे पद्मपलाशाक्षि जय त्वं श्रीपतिप्रिये । Stotra Shri Mahalakshmi जयमातर्महालक्ष्मि संसारार्णवतारिणि ॥१॥ Stotra Shri Mahalakshmi महालक्ष्मि नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि । हरिप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥२॥ पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे । सर्वभूताहितार्थाय वसुवृष्टिं सदा कुरु ॥3॥ जगन्मातर्नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे । दयावति नमस्तुभ्यं विश्वेश्वरि

Mahadev
आरत्या

Mahadev Aarti | शंकराची आरती

Mahadev Aarti | शंकराची आरती लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा । विषे कंठ काळा त्रिनेत्री ज्वाळा । लावण्यसुंदर मस्तकी बाळा । तेथुनिया जळ निर्मळ वाहे झुळझुळा ॥ १ ॥ जय देव जय देव जय श्री शंकरा । आरती ओवाळू तुज कर्पुरगौरा ॥ धृ० ॥ कर्पुरगौरा भोळा नयनी विशाळा । अर्धांगी पार्वती सुमनांच्या माळा । विभूतीचे उधळण

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