Shri Saraswati Devi shlok | श्री सरस्वती देवी के 5 श्लोक
सरस्वती वंदना:
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
अर्थ :- हे सरस्वती देवी, आपको नमन है। आप वर देने वाली और इच्छाओं को पूरा करने वाली हैं।
मैं विद्यारंभ करने जा रहा हूँ, कृपया सदा मेरी सिद्धि (सफलता) प्रदान करें। Shri Saraswati Devi shlok
सरस्वती प्रार्थना:
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
अर्थ :- जो कुन्द के फूल, चंद्रमा, या बर्फ के हार की तरह श्वेत हैं, जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं,
जो वीणा और वरदण्ड से सुशोभित हैं, जो श्वेत कमल पर बैठी हैं,
जो ब्रह्मा, विष्णु, और शंकर जैसे देवताओं द्वारा सदा पूजित हैं,
वे भगवती सरस्वती देवी मुझे हर प्रकार की जड़ता और अज्ञान से मुक्त करें।
सरस्वती अष्टाक्षर मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वत्यै नमः।
अर्थ :- हे महासरस्वती देवी, आपको नमन है। आप ज्ञान, रचनात्मकता, और बुद्धिमत्ता का प्रतीक हैं।
विद्या मंत्र:
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तुते॥
अर्थ :- हे सरस्वती देवी, जो महान और सौभाग्यशाली हैं, जिनकी आँखें कमल के समान हैं,
जो विद्या की रूप हैं, विशाल आँखों वाली हैं, मुझे विद्या प्रदान करें, आपको नमन है।
सरस्वती गायत्री मंत्र:
ॐ वाग्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
अर्थ :- हम सरस्वती देवी, जो वाणी और ज्ञान की देवी हैं, और कामदेव की पत्नी हैं, का ध्यान करते हैं।
वह देवी हमारे मन को प्रकाशित करें और हमारे विचारों को प्रेरित करें।